मंदिर हम बनाएंगें, मस्ज़िद हम बनाएंगें,
ए दुनिया बनानेवाले तेरा घर हम बनाएंगें।
तुझे चादर हम चढ़ाएंगे, तुझे फूलों में झुलाएँगे,
कभी जानवरों की बली कभी छप्पन भोग खिलाएंगे,
एक दुजे को काटेंगे और तेरी लाज बचाएंगे,
ए दुनिया बनाने वाले तेरा घर हम बनाएंगे।
हम ना जाने तेरी मंशा, तुझको बड़ा बनाएंगें,
जब तक सांस में सांस रहेगी हाहाकार मचाएंगे,