White हजारों लोग शरीक हुए थे जनाज़े में उसके, तन्हाईयों के ख़ौफ़ से जो शख़्स मर गया। हर आँख ने देखा उसे, मगर कोई समझ न सका, वो शख़्स भीड़ में भी, अपना आपा खो गया। जीते जी उसकी आहों को कोई न समझ सका, वो शख़्स अपने ही साये से हार गया। क़ब्र की मिट्टी भी ग़म को छू न सकी, हर ख़्वाब ख़ामोशी में दफ़्न हो गया। हसरतों का बोझ और ख़्वाहिशों की गहराई, वो अपनी तन्हाई में, धीरे-धीरे बिखर गया। ©UNCLE彡RAVAN #cg_forest