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" बात कुछ ठहरी सी हैं जो कि गुमसुम गुमनाम हैं , य

" बात कुछ ठहरी सी हैं जो कि गुमसुम गुमनाम हैं , 
ये मंजिले इश्क की कौन सी हैं वेशक तो साथ है तेरे साथ नहीं आ सकते ,
कर कोई फ़ैसला इस तहरीर पे मैं भी तु भी है ,
काश कि हमारे बीच के फासले कुछ कम कर सके  ." 

                          --- रबिन्द्र राम Pic: self 

" बात कुछ ठहरी सी हैं जो कि गुमसुम गुमनाम हैं , 
ये मंजिले इश्क की कौन सी हैं वेशक तो साथ है तेरे साथ नहीं आ सकते ,
कर कोई फ़ैसला इस तहरीर पे मैं भी तु भी है ,
काश कि हमारे बीच के फासले कुछ कम कर सके  ." 

                          --- रबिन्द्र राम
" बात कुछ ठहरी सी हैं जो कि गुमसुम गुमनाम हैं , 
ये मंजिले इश्क की कौन सी हैं वेशक तो साथ है तेरे साथ नहीं आ सकते ,
कर कोई फ़ैसला इस तहरीर पे मैं भी तु भी है ,
काश कि हमारे बीच के फासले कुछ कम कर सके  ." 

                          --- रबिन्द्र राम Pic: self 

" बात कुछ ठहरी सी हैं जो कि गुमसुम गुमनाम हैं , 
ये मंजिले इश्क की कौन सी हैं वेशक तो साथ है तेरे साथ नहीं आ सकते ,
कर कोई फ़ैसला इस तहरीर पे मैं भी तु भी है ,
काश कि हमारे बीच के फासले कुछ कम कर सके  ." 

                          --- रबिन्द्र राम

Pic: self " बात कुछ ठहरी सी हैं जो कि गुमसुम गुमनाम हैं , ये मंजिले इश्क की कौन सी हैं वेशक तो साथ है तेरे साथ नहीं आ सकते , कर कोई फ़ैसला इस तहरीर पे मैं भी तु भी है , काश कि हमारे बीच के फासले कुछ कम कर सके ." --- रबिन्द्र राम