White ठंड की ठिठुरन में सूरज ने आग ओढ़ी, दो प्रेमियों ने मिल कर सारी हदें तोड़ी। क्या करें कि बाहर तो मौसम भी ऐसा है, पर तूने ज़िद न छोड़ी मैंने ज़िद न छोड़ी। नाराज़गी भी नहीं है बातें भी नहीं होती, ऐसे कैसे जमेंगी हमारी तुम्हारी जोड़ी। ना ही तुम हो गलत और न हम फ़रेबी है, खेल हमसे खेल गई है क़िस्मत निगोड़ी। आओ कि मिलें बैठें मसलों को हल करें, गिले हैं उम्र भर के ये ज़िंदगी है थोड़ी। ©एस पी "हुड्डन" #क़िस्मत_निगोड़ी