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गैया लगे लगे मोहे प्यारी, जगपालनहारी माखन, छाछ, दू

गैया लगे लगे मोहे प्यारी, जगपालनहारी
माखन, छाछ, दूध, दही, घृत सो
सबको करत सुखारी सुखारी
गैया लगे लगे मोहे प्यारी, जगपालनहारी

भोरी अति दीन रहे सबके अधीन
जामे बसे लोक तीन, देव नाग गंधर्ब
जाके घर होबे गाय बाके भाग्य को सराय
बाके घर चलो आये तीन तीर्थन को पावों
अष्ट सिद्धि नौ निधी तहां नित देती डोल बुहारी?
गैया लगे लगे मोहे प्यारी, जगपालनहारी


























चार पाओं चारों धाम धर्म अर्थ मोक्ष काम
दर्शन अविराम मेट देत अंताप
ताप तीनही नशावे अंत स्वर्ग को सीधावे
फिर जग में न आवे ताहै मुक्ति मिले आप
आप तरे सब पितरनु तारे, जाके मैं बलिहारी2
गैया लगे लगे मोहे प्यारी, जगपालन हारी

©Priya Dubey
  #मम धेनु
priyadubey4070

Priya Dubey

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#मम धेनु #Society

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