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अब तिरी याद से वहशत नहीं होती मुझ को ज़ख़्म

 अब  तिरी  याद से  वहशत  नहीं होती  मुझ को 
ज़ख़्म  खुलते हैं  अज़िय्यत नहीं  होती  मुझ को 

अब  कोई  आए  चला  जाए  मैं  ख़ुश  रहता हूँ 
अब किसी शख़्स की आदत नहीं होती मुझ को

©Mehfil-e-Mohabbat
  ✍️♥️ शाहिद ज़की ♥️✍️

✍️♥️ शाहिद ज़की ♥️✍️ #शायरी

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