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मुफलिसी के मारे हम जाएं किस चौबारे हम अपनी खुशिया

मुफलिसी के मारे हम
जाएं किस चौबारे हम

अपनी खुशियां, जिम्मेदारी
पहले किसे सवारें हम

चादर न हो तो बतलाओ
कितना पाँव पसारे हम

दुनिया चाहे जो भी कह ले
माँ की आँख के तारे हम

मन मझधार सा चंचल है
हैं ठहरे हुए किनारे हम

©ALTAMASH KABEER
  MOBEEN AHMAD Saddam Hussain Makharvi