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कभी तमस तो कभी प्रकाश नज़र आता है, तेरी चाहतों का

 कभी तमस तो कभी प्रकाश नज़र आता है,
तेरी चाहतों का दिल में आकाश नज़र आता है..!

मैं पँछी बन मँडराता फिरूँ तेरे इर्द गिर्द,
तेरे क़रीब रहना ही मुझे आवास नज़र आता है..!

अधूरी ज़िन्दगी कब होगी पूरी,
धुरी पे घूमती धरा का विकास नज़र आता है..!

कैसे बताऊँ कब तक ख़ुद को सताऊं,
कभी कभी मन हताश नज़र आता है..!

पर होता है जब तू संग मेरे जानी,
ख़ुशहाल हर साल बारह मास नज़र आता है..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #Preying #adhurizindagi