ज़िन्दगी का क्या करूँ, मौत बेमिसाल हो, मैं रास्तों से क्यों डरूँ, मैं दौड़ते चला चलूँ ا मुश्किलें हज़ार हों, सामने पहाड़ हों, मैं किसी के दर पे क्यों रुकूँ, मैं लांघते चला चलूँ ا बोझ मेरे पीठ पे, फ़र्ज़ बेशुमार हैं, मैं हसरतों से क्या कहूँ, मैं त्यागते चला चलूँ ا दोस्तों से क्या गिला, अपने मेरे ही मतलबी, मैं दुश्मनों से क्यों लड़ूँ, मैं हारते चला चलूँ ا भूक मेरे पेट की, रोटियों से मिट गयी, मैं दौलतों का क्या करूँ, मैं बाँटते चला चलूँ ا लक्ष्य मेरा शून्य है, नाकामियों से क्या डरूँ, मैं साज़ अपने खुद बुनूँ, मैं झूमते चला चलूँ ا #yqdidi #yqquotes #yqhindi #yqmotivation #yqsafar #yqzindagi #yqwriters #yqtales