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चाहे रात का अंधेरा हो या फिर हो दिन की दोपहरिया, ब

चाहे रात का अंधेरा हो या फिर हो
दिन की दोपहरिया,
बस तेरे यादों की झड़ियाँ लगी रहती है
लौट आ मेरे साँवरिया।

©Shayar:-Yaश पांdey
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