"पलकों के पीछे कोई ख्वाब गहरा है," बन्द आँखों में अब भी तेरा चेहरा है । तू हकीकत न बनी तो ख्वाब ही सही , इस दिल पर तो बस तेरा ही पहरा है । तू ख्वाब, ख्वाहिश और मेरी हकीकत भी तू ही, तेरे बिना अब न कोई सवेरा है । ढलती रात में तू और बस तेरे ख्बाब मुझे शराब नहीं मुझे तो नशा तेरा है । मुझमें है तू .....