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"पलकों के पीछे कोई ख्वाब गहरा है," बन्द आँखों में

"पलकों के पीछे  कोई ख्वाब गहरा है," बन्द आँखों में 
अब भी तेरा चेहरा है ।

तू हकीकत न बनी तो ख्वाब ही सही ,
इस दिल पर तो बस तेरा ही पहरा है ।

तू ख्वाब, ख्वाहिश और मेरी हकीकत भी तू ही,
तेरे बिना अब न कोई सवेरा है ।

ढलती रात में तू और बस तेरे ख्बाब
मुझे शराब नहीं मुझे तो नशा तेरा  है । मुझमें है तू .....
"पलकों के पीछे  कोई ख्वाब गहरा है," बन्द आँखों में 
अब भी तेरा चेहरा है ।

तू हकीकत न बनी तो ख्वाब ही सही ,
इस दिल पर तो बस तेरा ही पहरा है ।

तू ख्वाब, ख्वाहिश और मेरी हकीकत भी तू ही,
तेरे बिना अब न कोई सवेरा है ।

ढलती रात में तू और बस तेरे ख्बाब
मुझे शराब नहीं मुझे तो नशा तेरा  है । मुझमें है तू .....