माँ दुर्गा माँ तूने राह दिखाई है , तू ही मंज़िल तक पहुँचाना । मेरा तुझ पर अटूट विश्वास है , तू मेरी नैया पार लगाना । हो भूल तो अपने हाथों से दंडित करना मुझे , न करना ख़ुद से दूर कभी, क़सम है मेरी तुझे । हर चीज़ सह सकता हूँ , पर तेरा रूठना नहीं । मेरे लिये तू कोई मूर्ति नहीं , मेरी जीती जागती माँ है । तू सुनती है मेरी हर बात , तू मेरा सारा ज़हान है । तेरे दरबार में बातें करते हुए तुझ से , जैसे मैं सुकून के समंदर में चला जाता हूँ । तू भी नहीं ऊबती मेरी बातों से , तो मैं भी घंटों तुझसे बातें बतलाता हूँ । तू बेशक मुख से नहीं देती उत्तर , हर प्रश्न का उत्तर तेरे अहसास से मैंने जाना । माँ तूने राह दिखाई है , तू ही मंज़िल तक पहुँचाना । मेरा तुझ पर अटूट विश्वास है , तू मेरी नैया पार लगाना । ©Ravindra Singh #navratri माँ दुर्गा माँ तूने राह दिखाई है , तू ही मंज़िल तक पहुँचाना । मेरा तुझ पर अटूट विश्वास है , तू मेरी नैया पार लगाना ।