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ये क्या इन आँखें में फिर आँसू  दर्द-ए-दिल को समझान

ये क्या इन आँखें में फिर आँसू 
दर्द-ए-दिल को समझाना फिजूल है।
किस्मत से बदलती नहीं जिन्दगी
हथेलियाँ को भिगाना फिजूल है।
जहाँ एहसास-ए-दिल न हो 
वहाँ रूठना मनाना फिजूल है।
जिसके लिये हो प्यार हथियार,जज्बात औजार, रिश्ते ढाल
वहाँ प्यार जताना फिजूल है।
यहाँ कटती नहीं,हर पल मरती है जिन्दगी
वहाँ कोई ख्वाब सजाना फिजूल है।
यूँ टूट कर बिखरनी ही जिन्दगी
तिनकों से खुद को बहलाना फिजूल है।
यहाँ जमीं,आसमां,दर,दीवार भी तेरी नहीं
यहाँ लिखना मिटाना भी फिजूल है।
बख्शे हैं खुदा ने रिश्ते कई 
एक ही रिश्ते को दिल में बसाना फिजूल है।
पारुल शर्मा ये क्या इन आँखें में फिर आँसू 
दर्द-ए-दिल को समझाना फिजूल है।
किस्मत से बदलती नहीं जिन्दगी
हथेलियाँ को भिगाना फिजूल है।
जहाँ एहसास-ए-दिल न हो 
वहाँ रूठना मनाना फिजूल है।
जिसके लिये हो प्यार हथियार,जज्बात औजार, रिश्ते ढाल
वहाँ प्यार जताना फिजूल है।
ये क्या इन आँखें में फिर आँसू 
दर्द-ए-दिल को समझाना फिजूल है।
किस्मत से बदलती नहीं जिन्दगी
हथेलियाँ को भिगाना फिजूल है।
जहाँ एहसास-ए-दिल न हो 
वहाँ रूठना मनाना फिजूल है।
जिसके लिये हो प्यार हथियार,जज्बात औजार, रिश्ते ढाल
वहाँ प्यार जताना फिजूल है।
यहाँ कटती नहीं,हर पल मरती है जिन्दगी
वहाँ कोई ख्वाब सजाना फिजूल है।
यूँ टूट कर बिखरनी ही जिन्दगी
तिनकों से खुद को बहलाना फिजूल है।
यहाँ जमीं,आसमां,दर,दीवार भी तेरी नहीं
यहाँ लिखना मिटाना भी फिजूल है।
बख्शे हैं खुदा ने रिश्ते कई 
एक ही रिश्ते को दिल में बसाना फिजूल है।
पारुल शर्मा ये क्या इन आँखें में फिर आँसू 
दर्द-ए-दिल को समझाना फिजूल है।
किस्मत से बदलती नहीं जिन्दगी
हथेलियाँ को भिगाना फिजूल है।
जहाँ एहसास-ए-दिल न हो 
वहाँ रूठना मनाना फिजूल है।
जिसके लिये हो प्यार हथियार,जज्बात औजार, रिश्ते ढाल
वहाँ प्यार जताना फिजूल है।
parulsharma3727

Parul Sharma

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