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रात नाराज है, चाँदनी छुपी है, तारों की रोशनी भी कह

रात नाराज है, चाँदनी छुपी है,
तारों की रोशनी भी कहीं गुम है।

धुंधली सी रात, खोजती है चाँदनी,
कहाँ छिपी है वो, मोहब्बत की कहानी।

हवा भी लाजवाब है, लेकिन खामोश है,
सितारों की आवाज, कहीं टूटी है।

रात नाराज है, दर्द और ग़म में डूबी है,
खोया हुआ सवेरा, कहीं गुम हुई है।

लेकिन अब भी, उम्मीद है सवेरे की,
रात का संगी, दिल को चैन दिलाए।

©Balwant Mehta
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