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एक शमा जलाये बैठीं हु एक आश लगाये बैठीं हु तेरे जा

एक शमा जलाये बैठीं हु
एक आश लगाये बैठीं हु
तेरे जाने के बाद हर रोज
चोखट को तकते रहती हु

तु जो न आये ,तेरी तश्तरी 
देख लिया करती हु
 मै तकदीर पर भरोसा करती हु
तेरी राह हमेशा तकती हु
एक शमा जलाये बैठी हु

तू आयेगा आज , सोचकर
सारे गम भुलाये बैठी हु
एक उम्मीद लगाये बैठी हु
हर  रात चाँद, तारो से भी 
तेरा हाल चाल पूछ लिया करती हु
उनसे तेरी सालामती की 
फरीयाद कर लिया करती हु

हाँ मैं , एक शमा जलाये बैठी हु
        एक आश लगाये बैठी हु एक शमा जलाये बैठी हु
एक शमा जलाये बैठीं हु
एक आश लगाये बैठीं हु
तेरे जाने के बाद हर रोज
चोखट को तकते रहती हु

तु जो न आये ,तेरी तश्तरी 
देख लिया करती हु
 मै तकदीर पर भरोसा करती हु
तेरी राह हमेशा तकती हु
एक शमा जलाये बैठी हु

तू आयेगा आज , सोचकर
सारे गम भुलाये बैठी हु
एक उम्मीद लगाये बैठी हु
हर  रात चाँद, तारो से भी 
तेरा हाल चाल पूछ लिया करती हु
उनसे तेरी सालामती की 
फरीयाद कर लिया करती हु

हाँ मैं , एक शमा जलाये बैठी हु
        एक आश लगाये बैठी हु एक शमा जलाये बैठी हु
krisha4226673719660

krisha

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एक शमा जलाये बैठी हु #कविता