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फिजाओं में ये कौन सा रंग घुला है सफर ये सुहाना हो

फिजाओं में ये कौन सा रंग घुला है
सफर ये सुहाना हो चला है

हवाओं में ये कैसी महक है
मन में जज्बातों का एक नया जोश उमड़ पड़ा है

तोड़ दे तु सारे बंधन नाउम्मीदी कि
उम्मीदों का एक नया सुरज निकल पड़ा है

लगा ले पंख तु अपने हौसले कि
आशाओं का‌ एक नया आसमान सामने पड़ा है।

©Amit Sir KUMAR
  #sadak फिजाओं में ये कोन सा रंग घुला है....

#sadak फिजाओं में ये कोन सा रंग घुला है.... #कविता

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