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अब आलोचनाओं की कोई जगह नही सिर्फ तारीफ ही तारीफ हो

अब आलोचनाओं की कोई जगह नही
सिर्फ तारीफ ही तारीफ होगी
ये सब कुछ किसी व्यक्ति विशेष के लिए नही
छद्म फरमान सबके लिए है
जरा बच के निकलना
किसी गली से मोहल्ले से
जरा सम्हाल के बोलना
किसी बड़े साहिबान अथवा नेता पर
वरना क्या क्या होगा 
ये तुम्हे पता भी नही
यही तो लोकतंत्र की खूबसूरती है
जिस पर हमें हा गर्व है
डरता हूँ कही इसे भी उसी श्रेणी में गिन लिया जाय
जिसकी ओर मैंने आगाह किया है
ये भारत है यहां अभिव्यक्ति की आज़ादी है
लेकिन एक हद तक ,सीमा का नही पता

©ranjit Kumar rathour
  जरा सम्हल के
#आजादी अभिव्यक्ति की

जरा सम्हल के #आजादी अभिव्यक्ति की #कविता

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