गुज़र अंगार से होकर सुख़न-ए-रूह झुलसी है , कोई आदत मेरी उनमे , या मेरी कोई उन-सी है , मैं बद्दतर भी नही होता , मुझे बेहतर बनाती है , है होता वसवसा मुझको , वो हल्दी है या तुलसी है , #koi #aadat #meri #unme ya meri koi unsi hai.... #paidstory