कुण्डलिया :- जीवन पथ की नित सुगम , राह दिखाते संत । इनकी सेवा से सदा, खुश होते भगवंत ।। खुश होते भगवंत , अमंगल कभी न करते । जो करते हैं पाप , वही नित इनसे डरते ।। महके ये घर द्वार , और महके यह उपवन । कर लो अच्छे कर्म , यही कहता है जीवन ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- जीवन पथ की नित सुगम , राह दिखाते संत । इनकी सेवा से सदा, खुश होते भगवंत ।। खुश होते भगवंत , अमंगल कभी न करते ।