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पेज-46 मनीषा- अपनी अंतिम स्वांस तक हर परिस्थिति मे

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मनीषा- अपनी अंतिम स्वांस तक हर परिस्थिति में आपके साथ रहूंगी..! आपके पास कल क्या होगा क्या नहीं.. इससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण मेरे लिये आपका होना होगा..! अगर उन विपरीत परिस्थितियों में आपका साथ नहीं निभा पाई तो मेरे माता पिता के संस्कारों का मेरे जीवन का फिर कोई मोल नहीं समझियेगा..! मेरे मम्मी पापा ने मुझे जो शिक्षा दी है अपने प्राणों की परवाह किये बिना भी उस पर अमल करूंगी..!
आगे कैप्शन में.. 🙏

©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी 
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शेष भाग 
मानक- ओह्ह, अद्भुत.. कितने उच्च संस्कार हैं आपके माता पिता के.. मैं खुद को बड़ा भाग्यशाली समझूंगा अगर मैं आपके जीवनसाथी की योग्यता रखता हूं..! अब मुझे ना कुछ पूछना है ना समझना है.. यदि आप की कोई जिज्ञासा हो तो मैं पूरी ईमानदारी से आपके प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देने को तैयार हूं.. कहिये ना..! आपको मुझसे कुछ पूछना है.. 
मनीषा- जी, कुछ नहीं.. 
मानक- ऐसा कैसे हो सकता है आप पूछिए ना प्लीज 
मुझे भी तो पता होना चाहिए.. आप अपने जीवनसाथी में क्या खास देखना चाहते हैं..!
मनीषा- मेरे पिता जी ने आपमें जो देखा वही मेरे लिये सर्वोपरि है..मेरा हित अहित उनसे बेहतर और कौन समझ पायेगा.
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मनीषा- अपनी अंतिम स्वांस तक हर परिस्थिति में आपके साथ रहूंगी..! आपके पास कल क्या होगा क्या नहीं.. इससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण मेरे लिये आपका होना होगा..! अगर उन विपरीत परिस्थितियों में आपका साथ नहीं निभा पाई तो मेरे माता पिता के संस्कारों का मेरे जीवन का फिर कोई मोल नहीं समझियेगा..! मेरे मम्मी पापा ने मुझे जो शिक्षा दी है अपने प्राणों की परवाह किये बिना भी उस पर अमल करूंगी..!
आगे कैप्शन में.. 🙏

©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी 
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शेष भाग 
मानक- ओह्ह, अद्भुत.. कितने उच्च संस्कार हैं आपके माता पिता के.. मैं खुद को बड़ा भाग्यशाली समझूंगा अगर मैं आपके जीवनसाथी की योग्यता रखता हूं..! अब मुझे ना कुछ पूछना है ना समझना है.. यदि आप की कोई जिज्ञासा हो तो मैं पूरी ईमानदारी से आपके प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देने को तैयार हूं.. कहिये ना..! आपको मुझसे कुछ पूछना है.. 
मनीषा- जी, कुछ नहीं.. 
मानक- ऐसा कैसे हो सकता है आप पूछिए ना प्लीज 
मुझे भी तो पता होना चाहिए.. आप अपने जीवनसाथी में क्या खास देखना चाहते हैं..!
मनीषा- मेरे पिता जी ने आपमें जो देखा वही मेरे लिये सर्वोपरि है..मेरा हित अहित उनसे बेहतर और कौन समझ पायेगा.

#रत्नाकर कालोनी पेज-46 शेष भाग मानक- ओह्ह, अद्भुत.. कितने उच्च संस्कार हैं आपके माता पिता के.. मैं खुद को बड़ा भाग्यशाली समझूंगा अगर मैं आपके जीवनसाथी की योग्यता रखता हूं..! अब मुझे ना कुछ पूछना है ना समझना है.. यदि आप की कोई जिज्ञासा हो तो मैं पूरी ईमानदारी से आपके प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देने को तैयार हूं.. कहिये ना..! आपको मुझसे कुछ पूछना है.. मनीषा- जी, कुछ नहीं.. मानक- ऐसा कैसे हो सकता है आप पूछिए ना प्लीज मुझे भी तो पता होना चाहिए.. आप अपने जीवनसाथी में क्या खास देखना चाहते हैं..! मनीषा- मेरे पिता जी ने आपमें जो देखा वही मेरे लिये सर्वोपरि है..मेरा हित अहित उनसे बेहतर और कौन समझ पायेगा. #प्रेरक