Nojoto: Largest Storytelling Platform

प्रेम और दर्द कृपया कैप्शन में पढे ©Sudha Tripat

प्रेम और दर्द
 कृपया कैप्शन में पढे

©Sudha Tripathi #Walk प्रेम और दर्द आज सर्वव्यापी हो गया है शायद किसी की तस्वीर देख कर या सामने वाले से नार्मल बात करके अनकंडीशनल लव हो जाता है और अगर सामने से इनकार हो तो फिर दर्द इतना  कि खाना -पीना, दिन -रात कुछ भी समझ नहीं आता क्या यह प्यार है क्या यही दर्द है इससे बढ़कर दुनिया में कुछ  भी नहीं...?
            मैंने भी बहुत करीब से देखा है प्रेम को और महसूस किया है दर्द को.....आज की युवापीढी..... अनाथ आश्रम या वृद्धाश्रम मे जाकर देखें कभी..... फिर प्रेम निभाने की क्षमता हो तो किसी अनाथ बच्चे को गोद ले कर देखें या किसी बुजुर्ग को अपने घर लाकर देखें प्रेम क्या होता है और अगर क्षमता नहीं है तो कम से कम हफ्ते में 1 घंटे किसी वेसहारे बृद्ध के पास बैठकर उनकी बातें सुने केवल बिना कुछ खर्च किए 1 घंटे के बाद पता चलेगा प्रेम क्या होता है। किसी अनाथ बच्चे को सहारा देकर देखें उसकी आंखों में जो प्रेम की चमक होगी यकीनन कहीं और नजर नहीं आने वाली।
             अब बारी आती है दर्द की... असहनीय दर्द की....दो चार दिन किसी से नॉर्मल बात करने के बाद  सामने से इनकार या ignorance से दर्द की प्रकाष्ठा  महसूस होती है अगर दर्द देखना है तो हॉस्पिटल में आईसीयू के सामने ऑपरेशन थिएटर के आगे जाकर देखें अलग-अलग तरह के परिजन किसी का बच्चा, किसी की मां, किसी का पति, किसी की पत्नी, किसी का भाई, किसी की बहन जिंदगी और मौत से लड़ रहे होते हैं  उनसे जाकर पूछे दर्द क्या होता है....? 
              शमशान में जाकर देखें किसी घर की पूरी जिम्मेदारी निभाने वाला एकमात्र सहारा हमेशा के लिए चला गया उनसे जाकर पूछे दर्द क्या होता है....? किसी ऐसे इंसान से पूछे जो किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त है और उसकी आयु डॉक्टरों के द्वारा निश्चित कर दी गई है उसका हर 1 मिनट, हर एक घंटा जैसे मानो मुट्ठी से रेत फिसलती जा रही हो.....
उनसे जाकर पूछे दर्द क्या होता है या उस मां से पूछे जोअपने जिगर के टुकड़े को पैसे के अभाव में इलाज न करा पाने के लिए  विवश है और फिर अपने दर्द से तुलना करके देखें...... Priya Gour Internet Jockey RAVISHANKAR PAL RAVINANDAN Tiwari  Yogendra Nath
प्रेम और दर्द
 कृपया कैप्शन में पढे

©Sudha Tripathi #Walk प्रेम और दर्द आज सर्वव्यापी हो गया है शायद किसी की तस्वीर देख कर या सामने वाले से नार्मल बात करके अनकंडीशनल लव हो जाता है और अगर सामने से इनकार हो तो फिर दर्द इतना  कि खाना -पीना, दिन -रात कुछ भी समझ नहीं आता क्या यह प्यार है क्या यही दर्द है इससे बढ़कर दुनिया में कुछ  भी नहीं...?
            मैंने भी बहुत करीब से देखा है प्रेम को और महसूस किया है दर्द को.....आज की युवापीढी..... अनाथ आश्रम या वृद्धाश्रम मे जाकर देखें कभी..... फिर प्रेम निभाने की क्षमता हो तो किसी अनाथ बच्चे को गोद ले कर देखें या किसी बुजुर्ग को अपने घर लाकर देखें प्रेम क्या होता है और अगर क्षमता नहीं है तो कम से कम हफ्ते में 1 घंटे किसी वेसहारे बृद्ध के पास बैठकर उनकी बातें सुने केवल बिना कुछ खर्च किए 1 घंटे के बाद पता चलेगा प्रेम क्या होता है। किसी अनाथ बच्चे को सहारा देकर देखें उसकी आंखों में जो प्रेम की चमक होगी यकीनन कहीं और नजर नहीं आने वाली।
             अब बारी आती है दर्द की... असहनीय दर्द की....दो चार दिन किसी से नॉर्मल बात करने के बाद  सामने से इनकार या ignorance से दर्द की प्रकाष्ठा  महसूस होती है अगर दर्द देखना है तो हॉस्पिटल में आईसीयू के सामने ऑपरेशन थिएटर के आगे जाकर देखें अलग-अलग तरह के परिजन किसी का बच्चा, किसी की मां, किसी का पति, किसी की पत्नी, किसी का भाई, किसी की बहन जिंदगी और मौत से लड़ रहे होते हैं  उनसे जाकर पूछे दर्द क्या होता है....? 
              शमशान में जाकर देखें किसी घर की पूरी जिम्मेदारी निभाने वाला एकमात्र सहारा हमेशा के लिए चला गया उनसे जाकर पूछे दर्द क्या होता है....? किसी ऐसे इंसान से पूछे जो किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त है और उसकी आयु डॉक्टरों के द्वारा निश्चित कर दी गई है उसका हर 1 मिनट, हर एक घंटा जैसे मानो मुट्ठी से रेत फिसलती जा रही हो.....
उनसे जाकर पूछे दर्द क्या होता है या उस मां से पूछे जोअपने जिगर के टुकड़े को पैसे के अभाव में इलाज न करा पाने के लिए  विवश है और फिर अपने दर्द से तुलना करके देखें...... Priya Gour Internet Jockey RAVISHANKAR PAL RAVINANDAN Tiwari  Yogendra Nath

@Priya Gour @Internet Jockey @RAVISHANKAR PAL RAVINANDAN Tiwari Yogendra Nath">#Walk प्रेम और दर्द आज सर्वव्यापी हो गया है शायद किसी की तस्वीर देख कर या सामने वाले से नार्मल बात करके अनकंडीशनल लव हो जाता है और अगर सामने से इनकार हो तो फिर दर्द इतना कि खाना -पीना, दिन -रात कुछ भी समझ नहीं आता क्या यह प्यार है क्या यही दर्द है इससे बढ़कर दुनिया में कुछ भी नहीं...? मैंने भी बहुत करीब से देखा है प्रेम को और महसूस किया है दर्द को.....आज की युवापीढी..... अनाथ आश्रम या वृद्धाश्रम मे जाकर देखें कभी..... फिर प्रेम निभाने की क्षमता हो तो किसी अनाथ बच्चे को गोद ले कर देखें या किसी बुजुर्ग को अपने घर लाकर देखें प्रेम क्या होता है और अगर क्षमता नहीं है तो कम से कम हफ्ते में 1 घंटे किसी वेसहारे बृद्ध के पास बैठकर उनकी बातें सुने केवल बिना कुछ खर्च किए 1 घंटे के बाद पता चलेगा प्रेम क्या होता है। किसी अनाथ बच्चे को सहारा देकर देखें उसकी आंखों में जो प्रेम की चमक होगी यकीनन कहीं और नजर नहीं आने वाली। अब बारी आती है दर्द की... असहनीय दर्द की....दो चार दिन किसी से नॉर्मल बात करने के बाद सामने से इनकार या ignorance से दर्द की प्रकाष्ठा महसूस होती है अगर दर्द देखना है तो हॉस्पिटल में आईसीयू के सामने ऑपरेशन थिएटर के आगे जाकर देखें अलग-अलग तरह के परिजन किसी का बच्चा, किसी की मां, किसी का पति, किसी की पत्नी, किसी का भाई, किसी की बहन जिंदगी और मौत से लड़ रहे होते हैं उनसे जाकर पूछे दर्द क्या होता है....? शमशान में जाकर देखें किसी घर की पूरी जिम्मेदारी निभाने वाला एकमात्र सहारा हमेशा के लिए चला गया उनसे जाकर पूछे दर्द क्या होता है....? किसी ऐसे इंसान से पूछे जो किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त है और उसकी आयु डॉक्टरों के द्वारा निश्चित कर दी गई है उसका हर 1 मिनट, हर एक घंटा जैसे मानो मुट्ठी से रेत फिसलती जा रही हो..... उनसे जाकर पूछे दर्द क्या होता है या उस मां से पूछे जोअपने जिगर के टुकड़े को पैसे के अभाव में इलाज न करा पाने के लिए विवश है और फिर अपने दर्द से तुलना करके देखें...... Priya Gour Internet Jockey RAVISHANKAR PAL RAVINANDAN Tiwari Yogendra Nath #ज़िन्दगी