किसी से इतनी भी तवज्जो न मिले कि, रूठे हो............. तो रूठना क्या, मनाना क्या,, कोई अपना क्या, पराया क्या !! रूठकर ये जो बैठे हो मोहन...तुम सड़क के किनारे, तुम्हारा रूठना क्या, चलते राही का मनाना क्या !! यूँ तो चलती राहों पर हादसे कई होते हैं,..मग़र.८८ कोई हमराह होकर साथ चल ले.... तो अपना क्या, पराया क्या !! #चलती_का_नाम_ज़िन्दगी.. ©Anoop Mohan #galiyaan #sunirahen