यहाँ मेहमान भी भगवान के सम-तुल्य है , मेरा भारत है वो जो सर्वथा अतुल्य है ।। जिसके गौरव की कथा तक्षशिला गाती है । यही भूमि सभी को सभ्यता सिखाती है । शून्य का ज्ञान, हमी से जहा ने पाया था । नगर होते है क्या, हमी ने तो सिखाया था । युगों युगों से बना विश्व की यह शान है , तभी कहते हैं कि भारत मेरा महान है । भगत सिंह ने जिसे लहू से अपने सींचा है , हमारा हिन्द तो बापू का इक बगीचा है । विविधता को हमी ने एकता बनाया है तभी जाकर के यह अमृत का पर्व आया है ©Deepankur raj #Sonbhadra