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चित्र-चिंतन :- कुण्डलिया सावन में झूला पड़ा , यमुना

चित्र-चिंतन :- कुण्डलिया
सावन में झूला पड़ा , यमुना तट के पास ।
राधा मोहन झूलते , तन मन में उल्लास ।।
तन मन में उल्लास , बासुरी कृष्ण बजाते  ।
सुनकर सारे जीव , पास उनके आ जाते ।।
राधा होकर मग्न , निहारें जग मन भावन ।
खिले हृदय में पुष्प , अनूठा आया  सावन ।।








०८/०९/२०२३     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चित्र-चिंतन :- कुण्डलिया


सावन में झूला पड़ा , यमुना तट के पास ।

राधा मोहन झूलते , तन मन में उल्लास ।।

तन मन में उल्लास , बासुरी कृष्ण बजाते  ।
चित्र-चिंतन :- कुण्डलिया
सावन में झूला पड़ा , यमुना तट के पास ।
राधा मोहन झूलते , तन मन में उल्लास ।।
तन मन में उल्लास , बासुरी कृष्ण बजाते  ।
सुनकर सारे जीव , पास उनके आ जाते ।।
राधा होकर मग्न , निहारें जग मन भावन ।
खिले हृदय में पुष्प , अनूठा आया  सावन ।।








०८/०९/२०२३     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चित्र-चिंतन :- कुण्डलिया


सावन में झूला पड़ा , यमुना तट के पास ।

राधा मोहन झूलते , तन मन में उल्लास ।।

तन मन में उल्लास , बासुरी कृष्ण बजाते  ।

चित्र-चिंतन :- कुण्डलिया सावन में झूला पड़ा , यमुना तट के पास । राधा मोहन झूलते , तन मन में उल्लास ।। तन मन में उल्लास , बासुरी कृष्ण बजाते  । #कविता