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ज़हर बन जाती हैं यादें कभी-कभी, ये उसने कहा मुझसे,

ज़हर बन जाती हैं यादें कभी-कभी, ये उसने कहा मुझसे,
जिसमे जिजीविषा बड़ी ही प्रबल थी।
मृगतृष्णा सी थी मोहब्बत उसके लिए,
खूबसूरत लेकिन महज़ एक छल थी।।
टूटी थी,बिखरी थी,संभली भी अपने ही जज़्बातों से,
डरती थी मोहब्बत से,शायद हारी थी खुद के हालातों से।।
सोच रहें हैं हम,अब अपने और उसके डर को फरार कर दिया जाए,
छोटी सी ज़िन्दगी है,मोहब्बत मे उसकी,खुद को गिरफ्तार कर दिया जाए।।


छोटी छोटी बातों मे खुशियां ढूंढ लेती वो,
टुकड़ा- टुकड़ा बटोर ज़िन्दगी को उसने जोड़ा है।
बहुत खूबसूरत है वो, बिल्कुल 'सांझ' की तरह,
रात की तन्हाई ने न जाने कितनी बार उसे तोड़ा है।।
जानती है और समझती भी है वो दर्द मेरा,
शायद उसे भी मोहब्बत कर किसी ने छोड़ा है।
भाग रहे है जज़्बात उनकी तरफ,तो खुद का जीना फिर दुश्वार कर दिया जाए,
छोटी सी ज़िन्दगी है,मोहब्बत मे उसकी खुद को गिरफ्तार कर दिया जाए।।


काश आज़मा ले वो  चाहत मेरी,आज़मा ले वो इबादत मेरी,
लड़ जाऊं ज़माने से उसके खातिर,आज़मा ले वो बगावत मेरी।।
फिलहाल तो जल रही है अग्नि विरह की,जल रहा है मेरा मन,
जल रहा उसके लिए हृदय मेरा,जल रहा है मेरा तन।
आघात करती है आँखें उसकी,घायल करता है उसका बदन,
दूर रहने की करी नाकाम कोशिशें,पर हर बार उसकी तरफ ही बढ़ रहे कदम।।
सोच रहे हैं ,धीमी कर दें गति अपनी,या तेज़ रफ़्तार को कर दिया जाए,
छोटी सी ज़िन्दगी है,मोहब्बत मे उसकी खुद को गिरफ्तार कर दिया जाए।।
मोहब्बत मे उसकी खुद को गिरफ्तार कर दिया जाए।। #गिरफ्तार #मोहब्बत
ज़हर बन जाती हैं यादें कभी-कभी, ये उसने कहा मुझसे,
जिसमे जिजीविषा बड़ी ही प्रबल थी।
मृगतृष्णा सी थी मोहब्बत उसके लिए,
खूबसूरत लेकिन महज़ एक छल थी।।
टूटी थी,बिखरी थी,संभली भी अपने ही जज़्बातों से,
डरती थी मोहब्बत से,शायद हारी थी खुद के हालातों से।।
सोच रहें हैं हम,अब अपने और उसके डर को फरार कर दिया जाए,
छोटी सी ज़िन्दगी है,मोहब्बत मे उसकी,खुद को गिरफ्तार कर दिया जाए।।


छोटी छोटी बातों मे खुशियां ढूंढ लेती वो,
टुकड़ा- टुकड़ा बटोर ज़िन्दगी को उसने जोड़ा है।
बहुत खूबसूरत है वो, बिल्कुल 'सांझ' की तरह,
रात की तन्हाई ने न जाने कितनी बार उसे तोड़ा है।।
जानती है और समझती भी है वो दर्द मेरा,
शायद उसे भी मोहब्बत कर किसी ने छोड़ा है।
भाग रहे है जज़्बात उनकी तरफ,तो खुद का जीना फिर दुश्वार कर दिया जाए,
छोटी सी ज़िन्दगी है,मोहब्बत मे उसकी खुद को गिरफ्तार कर दिया जाए।।


काश आज़मा ले वो  चाहत मेरी,आज़मा ले वो इबादत मेरी,
लड़ जाऊं ज़माने से उसके खातिर,आज़मा ले वो बगावत मेरी।।
फिलहाल तो जल रही है अग्नि विरह की,जल रहा है मेरा मन,
जल रहा उसके लिए हृदय मेरा,जल रहा है मेरा तन।
आघात करती है आँखें उसकी,घायल करता है उसका बदन,
दूर रहने की करी नाकाम कोशिशें,पर हर बार उसकी तरफ ही बढ़ रहे कदम।।
सोच रहे हैं ,धीमी कर दें गति अपनी,या तेज़ रफ़्तार को कर दिया जाए,
छोटी सी ज़िन्दगी है,मोहब्बत मे उसकी खुद को गिरफ्तार कर दिया जाए।।
मोहब्बत मे उसकी खुद को गिरफ्तार कर दिया जाए।। #गिरफ्तार #मोहब्बत
abhioli5920

Abhi Oli

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