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घर कागज पर कुछ ताजा सा मिल जाए , तो समझ लेना वो कल

घर कागज पर कुछ ताजा सा मिल जाए ,
तो समझ लेना वो कलम रात भर ना सोई थी,

बड़े फल्सफे बड़े हौसलों से बनाई थी आशिया हमने अपनी,
घर खुदा भी उस खिड़की पर आ जाए तो क्या हो जाए,

बड़े इरादों से लगाई थी तुलसी हमने अपने आंगन में,
गर रोज सुबह गमले की जमीं गीली सी मिल जाए तो क्या ही हो जाए,

ख्वाबों में रह कर भी न सो पाए थे,
गर वो टिमटिमाती आँखें हमारी आहट से भी चमक जाए तो कया हो जाए,

चांद तारे तोड़ लाने की बातों से परे,
सुबह सूरज से पहले वो चांद दिख जाय तो क्या हो जाए।।
@frzigulzar

©frzigulzar
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