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कभी रिश्ते थे अकेली ईंट से,अब अनचाहे रिश्तों की दी

कभी रिश्ते थे अकेली ईंट से,अब अनचाहे रिश्तों की दीवार बन गई,

कहीं रिश्तों में चाहत है,कहीं तो बस बात मैं पर अटक गई,

कभी दिल देखते कभी सूरत से आशिकी हो गई,

रिश्तों की परिभाषा बदलते वक्त संग धूमिल हो गई।
 Challenge-152 #collabwithकोराकाग़ज़ 

4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए :)

"हम लिखते रहेंगे" प्रतियोगिता में भाग लेने और अपनी टीम बनाने के लिए पिन की हुई पढ़िए :)

#रिश्तोंकीदीवार #कोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba  #YourQuoteAndMine
Collaborating with कोरा काग़ज़ ™️
कभी रिश्ते थे अकेली ईंट से,अब अनचाहे रिश्तों की दीवार बन गई,

कहीं रिश्तों में चाहत है,कहीं तो बस बात मैं पर अटक गई,

कभी दिल देखते कभी सूरत से आशिकी हो गई,

रिश्तों की परिभाषा बदलते वक्त संग धूमिल हो गई।
 Challenge-152 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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