तुम बिन बहुत दुश्वारियाँ हैं वक़्त ठहरे तो लौट आना तुम। हर घड़ी बस कट रही है ,बरसात से पहले लौट आना तुम। उन गलियों में मेरा सफर आज भी चलता रहता है, बस एक बार फिर उस खिड़की पर लौट आना तुम। जहां आख़री बातों का सिलसिला दफन कर दिया हमने, वहीं घर है अब मेरा, रकीब की गलियों से लौट आना तुम। #अहसास #हिज्र