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अहर्निश छन्द  आयेंगे सजना, मेरे आँगन, है होली । क

अहर्निश छन्द 

आयेंगे सजना, मेरे आँगन, है होली ।
क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।।
वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  ।
अब कैसी दूरी , क्या मजबूरी , मै बोली ।।

जप राधे-राधे , दुख हो आधे , महतारी ।
वो सबकी सुनते, कुछ मत कहते , गिरधारी ।।
है पल बलवाना , जिसने माना , बनवारी ।
सब महिमा तेरी , क्या है मेरी , सुखकारी ।।


१३/०३/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अहर्निश छन्द 


आयेंगे सजना, मेरे आँगन, है होली ।

क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।।

वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  ।
अहर्निश छन्द 

आयेंगे सजना, मेरे आँगन, है होली ।
क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।।
वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  ।
अब कैसी दूरी , क्या मजबूरी , मै बोली ।।

जप राधे-राधे , दुख हो आधे , महतारी ।
वो सबकी सुनते, कुछ मत कहते , गिरधारी ।।
है पल बलवाना , जिसने माना , बनवारी ।
सब महिमा तेरी , क्या है मेरी , सुखकारी ।।


१३/०३/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अहर्निश छन्द 


आयेंगे सजना, मेरे आँगन, है होली ।

क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।।

वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  ।

अहर्निश छन्द  आयेंगे सजना, मेरे आँगन, है होली । क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।। वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली  । #कविता