ये साँसों की तन्हाई को , यूँ लफ़्ज़ों से तुम भरते हो । अक्सर देखा है मैंने तुमको , खुद से भी बातें करते हो । ये चाँद सितारे ये नीला अम्बर, हमसे तो कुछ ना कहते हैं । फिर क्यों रातों में अपलक , तुम इनको देखा करते हो । हर शब्द तुम्हारा स्वर्ण कमल है , हर छंद तुम्हारा मोती है । यूँ शब्दों की बूंदों से तुम , ये सागर कैसे भरते हो । जब भी सामने आते हो , तुम ख्वाबों में ही खोये रहते हो। लाखों चिंताओं के इस दरिया में भी, तुम किसी आस सा तरते हो । ये सांसों की तन्हाई को , यूँ लफ़्ज़ों से तुम भरते हो । लफ्ज़... #Creativity#Nozoto