गुपाल /भुजंगिनी छन्द हाथ जोड़कर , करूँ पुकार । बिनती सुन लो , अब भरतार ।। तव लिए रखूँ , मैं उपवास । बनी रहूँगी , पद की दास ।। देखो आया , बालक द्वार । करो नही तुम , आज प्रहार ।। आया अब है , ऊँट पहाड़ । छूते नभ को , बनकर ताड़ ।। ०३/०५/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गुपाल /भुजंगिनी छन्द हाथ जोड़कर , करूँ पुकार । बिनती सुन लो , अब भरतार ।। तव लिए रखूँ , मैं उपवास । बनी रहूँगी , पद की दास ।। देखो आया , बालक द्वार ।