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थक सा गया हूँ मैं, दुनिया-जहान से। टूटन बढ़ने लगी ह

थक सा गया हूँ मैं, दुनिया-जहान से।
टूटन बढ़ने लगी है,बढ़ती थकान से।।
चलता रहा हूँ, जबसे होश संभाला है।
कुछ तो लगेगा हाथ,जीवन की उड़ान से।।

©Shubham Bhardwaj
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