यह एहसासों की कलम, और ख्यालों की स्याही, फिर कोई अनकही-अनसुनी, बात बताने वाली है, लाकर तुम को बहुत करीब, बड़ी दूर ले जाने वाली है, मैं सोता नहीं लेकर आंखों में तेरा तसस्वर, फिर क्यों ख्यालों में अक्सर तुम्हें पाता हूं, जब हम मिलते ही नहीं बिछड़ते क्यों हैं, जब हम बनते ही नहीं बिगड़ते क्यों हैं, बड़ी दुविधा में डालती हैं अनकही बातें, यह ही इक बात समझने वाली है। ©Harvinder Ahuja #सिर्फ एहसास