अतुलनीय है प्यार तुम्हारा, नैसर्गिक संसार तुम्हारा, काल रात्रि में दीपक जैसा, रहता है उजियार तुम्हारा, तुम बिन बेमानी है सबकुछ, साँसों पर अधिकार तुम्हारा, जीवन की कश्ती के नाविक, तुम्हीं नदी, मझधार तुम्हारा, तुम शक्ति शिव शंकर भोले, गंगा तुम, हरिद्वार तुम्हारा, सुनते करुण पुकार स्वयंभू, बंद न हो दरबार तुम्हारा, 'गुंजन' चरण शरण प्रभु तेरे, वंदन बारम्बार तुम्हारा, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #अतुलनीय है प्यार तुम्हारा#