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न कोई उम्मीद बाकी न कशिश रही कोई बाकी दिल में मे

न कोई उम्मीद बाकी 
न कशिश रही कोई बाकी 
दिल में मेरे 
फ़िर, मुक़ाम तुम्हारा क्यूँ है 
निकल भी जाओ 
दिल से मेरे 
आँखों से बहते 
आंसुओं की तरह

©हिमांशु Kulshreshtha
  न कोई उम्मीद बाकी...

न कोई उम्मीद बाकी... #शायरी

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