धूप से खिलवाड़ घातक, प्यास से मर गया चातक, ढूँढते फिरते हैं ठण्डक, परेशाँ सब वृद्ध जातक, नर्क जैसी यातना यह, बन गया हर कोई पातक, एक सा है असर सब पर, रहे अनपढ़ या हो स्नातक, सृष्टि की समदृष्टि सब पर, ज्ञान समता बोध द्योतक, भटकना पड़ता जगत में, बंद कर ले भाग्य फाटक, पात्र हैं हम सभी 'गुंजन', ज़िन्दगी है एक नाटक, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ▪︎प्र▪︎ • ©Shashi Bhushan Mishra #धूप से खिलवाड़ घातक#