अब शायद, चांद को हमारी याद आई है इस काली रात मै, उनकी याद फिर हमें रुलाने आई है लेकिन अब, आंसू रो रो के सूख चुके है ज़िन्दगी के सफ़र में,बहुत सारे,ज़ख्म बन चुके है वो मलहम तो लगाती है मगर ये ज़ख्म अब उसे भी काटें बन कर चुभने लगे है वो भी चुप है, मै भी चुप हूं बस दो रूहों के अंदर, ज़िन्दगी अपनी चाल चले जा रही है, हमारे रास्तों को और कांटोभरा बनाती जा रही है #काटें #दर्द #ज़िन्दगी #सफर #चांद #काली_रातें