तेरे माथे को चूम कर, मै अपने माथे चंदन लगा लेता हूं, कभी प्यार से उसको निहारता, कभी गुस्से से नजर उतार लेता हूं । प्रेम है तो प्रेम है उस पर कोई सवाल कहां है, राधा कहती उद्धव से कृष्ण नही है फिर भी यहां है। उसकी देन है देववाणी,मैने तो बस लिखा है, पर लिखना क्या है कब कितना है, ये सब उससे मैने सीखा है ।। ©Devraj singh rathore #devvani #devrajsinghrathore #devrajkidevvani #Love #bestlove #Chhattisgarh