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मुझे छोड़ कर तुम कहाँ जा रहे हो... एक बार मुड़ कर

मुझे छोड़ कर तुम कहाँ जा रहे हो...
एक बार मुड़ कर देखो ना,
कैसे जी रहें हैं हम तुम्हारे बिना।
मानता हूं गलतियां बहुत की हैं मैंने,
तुम्हारी माफी का भी हकदार नहीं हूं मैं।
एक बार लौट कर आ जाओ बहुत कुछ कहना है तुमसे,
जो बातें रह गई अधूरी उनको बयां करना है।
जो गलतियां थी मेरी उनकी सजा को भुगतना है,
तुम दोगी जो भी वो सजा मंजूर होगी मुझे।
लेकिन छोड़ कर ना जाओ,
जिंदगी के फलसफे में साथ चाहिए तुम्हारा मरते दम तक।
मुझे छोड़ कर तुम कहां जा रहे हो...
एक बार मुड़ कर देखो ना,
कैसे जी रहे हैं हम तुम्हारे बिना।

©Prashant kumar
  #जिंदगी #अधूरी_कहानी #मोहब्बत