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हारा हूँ , गिरा हूँ , फिर खड़ा हुआ हूँ मैं.. राह भर

हारा हूँ , गिरा हूँ , फिर खड़ा हुआ हूँ मैं..
राह भरी काँटों से है 

उस राह पर निकल पड़ा हूँ मैं..
एक-राही ये पथ है मेरा
चलना मुझे अकेले होगा 

फिर काहे की उलझन है ?
किस उलझन में उलझा हूँ मैं..

  Writer- ❤️Gaurav Singh Virajkar❤️
  From- Meerut (U.P)

©GAURAV SINGH VIRAJKAR हारा हूँ , गिरा हूँ , फिर खड़ा हुआ हूँ मैं..
राह भरी काँटों से है 

उस राह पर निकल पड़ा हूँ मैं..
एक-राही ये पथ है मेरा
चलना मुझे अकेले होगा 

फिर काहे की उलझन है ?

हारा हूँ , गिरा हूँ , फिर खड़ा हुआ हूँ मैं.. राह भरी काँटों से है उस राह पर निकल पड़ा हूँ मैं.. एक-राही ये पथ है मेरा चलना मुझे अकेले होगा फिर काहे की उलझन है ? #Night #Hindi #my #poem #motivate #myfirstpost #na #meerut #Nightlight

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