भाग्य ने डँसा, घर नहीं बसा, यार भी बदले, मन नहीं जँचा, है अंधेरी रात, कैसे कटे बता, दो हौसला हमें, फ़िक्र मत जता, कश्ती डुबा गये, किसकी है ख़ता, टूटा ग़ुरूर जब, घेला नहीं बचा, नीयत में खराबी, किसको है पचा, लुट चुकी बहार, शोर अब मचा, 'गुंजन' ये आबरू, जितनी बची बचा, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra #जितनी बची बचा#