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चकित देखता हूं आसमान की ओर कब होगी प्रभु बारिश घनघ

चकित देखता हूं
आसमान की ओर
कब होगी प्रभु
बारिश घनघोर

गुजर गया है
सावन मनभावन
फिर भी ना भीग सकी,
धरती की दामन

मोरनी तरसती है
न नृत्य करे मोर

मिलती न छांव कहीं,
उजड़ रहे बाग
घोंसला बनाएं कहां,
जाएं कहां काग

गांव गली मिलती न,
पंछियों का शोर

वृक्ष धराशाई कर
होते निर्माण
जलस्तर नीचे है
खतरे में प्राण

काट रहे अपने ही
जीवन की डोर

सुनील कुमार मौर्य बेखुद
गोरखपुर

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  # धरती की प्यास

# धरती की प्यास #कविता

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