शब्दों का संसार, अद्भुत है भंडार, वाणी को दे अर्थ, फूल बने या ख़ार, भावों का प्राकट्य, जीवन का आधार, त्यागो लालच लोभ, रहना है दिन चार, माया में थे लिप्त, डूब गए मझधार, कश्ती आप सँभाल, तेज नदी की धार, शब्द ब्रह्म को जान, 'गुंजन' भव से पार, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई ©Shashi Bhushan Mishra #शब्दों का संसार#