#OpenPoetry जो मेरे दिल में रहा एक निशानी बनकर। अब उसे क्या रोकना जो निकल गया आंख का पानी बनकर। जी रही होंगी वो भी कहीं महलों की रानी बनकर हम फ़कीर भी बनने को तैयार हैं इस जिंदगी में पर शर्ते, वो आयेंगे हमसे मिलने कभी दानी बनकर। #OpenPoetry #लवशायारी