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मैं "मौन" हूं मेरी ज़बान खींच ली है। मैं गौण* हूं,

मैं "मौन" हूं
मेरी ज़बान खींच ली है।
मैं गौण* हूं,
मैं तस्वीर हूं मेरी खुश्बू खींच ली है।
पानी का प्रतिबिंब हूं सरापा** हूं,
तपती धूप ने जैसे साए की सांस भींच ली है।

*अपने मूल अर्थ से भिन्न।

मैं "मौन" हूं मेरी ज़बान खींच ली है। मैं गौण* हूं, मैं तस्वीर हूं मेरी खुश्बू खींच ली है। पानी का प्रतिबिंब हूं सरापा** हूं, तपती धूप ने जैसे साए की सांस भींच ली है। *अपने मूल अर्थ से भिन्न।

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