कुण्डलिया :- कोई करता है नही , आज यहाँ सहयोग । मतलब से मिलकर सभी , करते हैं उपयोग ।। करते हैं उपयोग , बोलकर मीठी वाणी । करवाता हर काम , प्रलोभन देकर प्राणी ।। देख प्रखर संसार , रात भर आँखें रोई । ऐसे जग पे आज , जान देता हर कोई ।। २९/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- कोई करता है नही , आज यहाँ सहयोग । मतलब से मिलकर सभी , करते हैं उपयोग ।। करते है उपयोग , बोलकर मीठी वाणी ।