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ढाल रहे हैं जिंदगी को जैसे शाम ढल जाया करती है। प

ढाल रहे हैं जिंदगी को 
जैसे शाम ढल जाया करती है।
पिघल कर 
बर्फ सी ठोस  बन 
रही है जिंदगी जैसे किसी 
 भी सांचे में ढल जाया करती है।

©Priyanshi Bhatt #ढलना शाम सा
ढाल रहे हैं जिंदगी को 
जैसे शाम ढल जाया करती है।
पिघल कर 
बर्फ सी ठोस  बन 
रही है जिंदगी जैसे किसी 
 भी सांचे में ढल जाया करती है।

©Priyanshi Bhatt #ढलना शाम सा