तुमसे प्रिय, ये मधुर स्नेह-स्पंदन है, देख तुम्हें, धड़कन में कभी त्वरण तो कभी मंदन है, तुम अप्सरा ठहरी, देवी गुणवती प्रेम बिना, प्रेमी तुम्हारा अकिंचन है, तुमसे ही ये प्रेमरूपी खेल भी है जहाँ जुदाई और अपना मेल भी है एक पल भावपूूर्ण तिरस्कार, फिर अभिनंदन भी है तुमसे प्रिय, ये मधुर स्नेह-स्पंदन है, देख तुम्हें, धड़कन में कभी त्वरण तो कभी मंदन है, तुम अप्सरा ठहरी, देवी गुणवती प्रेम बिना, प्रेमी तुम्हारा अकिंचन है, तुमसे ही ये प्रेमरूपी खेल भी है जहाँ जुदाई और अपना मेल भी है