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किसी सार्वजनिक संस्था के 2 सदस्य चर्चा के लिए गांध

किसी सार्वजनिक संस्था के 2 सदस्य चर्चा के लिए गांधीजी के पास वर्धा पहुंचे | बातचीत में गांधी जी को लगा कि छोटे से काम के लिए दो व्यक्तियों का उनके पास आना उचित नहीं है | गांधीजी से रहा न गया और उन्होंने दोनों से  कह दिया आप दोनों को 3 दिन रहने की जरूरत नहीं है | "कोई एक व्यक्ति वापस लौट जाए | " दोनों आगंतुक एक दूसरे की शक्ल देखते रह गए | गांधी जी ने उन्हें  समझाते हुए कहा - समय का अपव्यय  करना सर्वथा अनुचित है | जिस समय एक व्यक्ति यहाँ काम  कर रहा होगा , दूसरा व्यक्ति वापस जाकर वहां और कोई काम कर सकता है | समय के इस महत्व को जानने के बाद वे लोग अपनी गलती समझ गए और उनमें से एक व्यक्ति फौरन वापस चला गया | इस  छोटी सी कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि आप जीवन से प्रेम करते हैं तो समय को व्यर्थ ही न गंवाये |क्योंकि जीवन समय से बनता है और वह  भी हर क्षण से | क्षण _ क्षण से  बनता है जीवन जैसे दल बूंदी से सागर | इस जीवन का कोई छोर नहीं सो बहा चले जैसे सागर || जो लोग दुनिया में आगे बढ़े हैं उन्होंने फुर्सत के समय को भी कभी व्यर्थ ना जाने दिया उन्होंने अपना बौद्धिक सुधार किया और अच्छे साहित्य का सृजन किया |

©Govind Kumar Mishra
  समय का महत्व

समय का महत्व #प्रेरक

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