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मैं खिल नहीं सका कि मुझे नम नहीं मिला, ☀️ साक़ी मि

मैं खिल नहीं सका कि मुझे नम नहीं मिला, ☀️
साक़ी मिरे मिज़ाज का मौसम नहीं मिला । 🙏🙃💐💐
मुझ में बसी हुई थी किसी और की महक, 😎
दिल बुझ गया कि रात वो बरहम नहीं मिला । 🌷🙌🤐🌼
बस अपने सामने ज़रा आँखें झुकी रहीं, 🥺
वर्ना मिरी अना में कहीं ख़म नहीं मिला । 🙈👌🙌🥺
उस से तरह तरह की शिकायत रही मगर, 😊
मेरी तरफ़ से रंज उसे कम नहीं मिला । 🙈😊👌🌥
एक एक कर के लोग बिछड़ते चले गए, 🌻
ये क्या हुआ कि वक़्फ़ा-ए-मातम नहीं मिला । 🙌🙂😊🌺

©shailendra chaudhary
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